Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
सुलगा सुलगा सा ये मन
अब हो चला है धुआँ
शोले उठते थे जहाँ
राख के ढेर वहाँ
धुंध में देख न पाऊँ
पास हो तुम या है दूरी
हाँ.. दस्तों शहरा मैं ढूँढूँ
मैं ढूँढूँ तेरे निशान
तेरे निशान, तेरे निशान
तुझको पाने की खातिर
मैं छोड़ूँ दोनों जहाँ
दोनों जहाँ, दोनों जहाँ
मेरी धड़कन के लिए
तेरा है साथ ज़रूरी
सुलगा सुलगा सा ये मन
अब हो चला है धुआँ
शोले उठते थे जहाँ
राख के ढेर वहाँ
धुंध में देख न पाऊँ
पास हो तुम या है दूरी
हो कितना दिलकश मौसम था
जब तुझे खोया न था
रोज़ सूरज उगता था
चाँद भी सोया न था
कितना दिलकश मौसम था
जब तुझे खोया न था
रोज़ सूरज उगता था
चाँद भी सोया न था
मेरी रातें थी रोशन
मेरे दिन थे सिंदूरी
दस्तों शहरा मैं ढूँढूँ
मैं ढूँढूँ तेरे निशान
तेरे निशान, तेरे निशान
तुझको पाने की खातिर
मैं छोड़ूँ दोनों जहाँ
दोनों जहाँ, दोनों जहाँ
मेरी धड़कन के लिए
तेरा है साथ ज़रूरी
सुलगा सुलगा सा ये मन
अब हो चला है धुआँ
शोले उठते थे जहाँ
राख के ढेर वहाँ
धुंध में देख न पाऊँ
पास हो तुम या है दूरी