Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
राष्ट्र भक्ति का मंदिर जिस दिन टूट गया नादानी में
और सिर्फ़ सिसकियाँ पाएंगे हम संतों की वाणी में
भारत माता के आँचल को मत बाँटों बेताबी में
भगत सिंह के लाश के टुकड़े तड़प उठेंगे रावी में
और गीत नहीं गाए जाएंगे कौन बांसुरी फुँकेगा
और निगलेगी ये देश समूचा खामोशी शमशानों की
कथा कलंकित हो जाएगी पुरखों के बलिदानों की
सिसक-सिसक कर बाग ये जलियांवाला पूछेगा हमसे
और सवा लाख से एक लड़ाने वाला पूछेगा हमसे
की क्यूँ बीरों की क़ुर्बानी का चमन बाँटने निकले हो
सिसक-सिसक कर बाग ये जलियांवाला पूछेगा हमसे
और सवा लाख से एक लड़ाने वाला पूछेगा हमसे
की क्यूँ बीरों की क़ुर्बानी का चमन बाँटने निकले हो
और किस हक़ से तुम उधम सिंह का वतन बांटने निकले हो
और हम चराग थे बापू-शेखर और सुभाष की आत्मा के
हम चराग थे बापू-शेखर और सुभाष की आत्मा के
और क्यूँ उतरने लगे आरती अंधियारे तूफ़ानों की
कथा कलंकित हो जाएगी पुरखों के बलिदानों की
हिंदुस्तान बना मत देना लाशों पर इंसानों की