Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
कांता बाई मेरे कमरे में चुपके चुपके आई
मैं तो कर रहा था पढाई क्यों आई, क्यों आई
बिना बोले
इलू इलू केंदी मॉडल टाउन च रैंदी केंदी
मर्जानेया चालदे ना एसी बोहत गर्मी पेंदी
बिट्टू की केंदी
ओह तेरी बाहें दी
मुम्मा इलू इलू केंदी
केंदी दिन शनिवार दा वाजा मारदा
दही भल्ला खाऊँगी मंगल बाज़ार दा
मंगल बाज़ार से होके जाना सेक्टर चार में
जिथे रेह्न्दी ए सहेली मेरी शारदा
हा हा.. पता है फिर की केंदी
केंदी ज़ालिमा कोका कोला पिला दे, पिला दे, पिला दे
ओहदे नेक नि लगे इरादे इरादे इरादे
मैनू केंदी तेरा नंबर दे
मज़े ले इश्क समन्दर दे
इधर उधर ना देख तू बिजली गिरदे मेरी कमर पे
कहती संग में सो जाते हैं बेबी मुझको नींद है आई
कांता बाई मेरे कमरे में चुपके चुपके आई
मैं तो कर रहा था पढाई क्यों आई, क्यों आई
बिना बोले
बंदा मैं सीधा साधा हूँ
किसी को भी ना मैं सताता हूँ
सुन्दर लड़की जो पूछे
खुदको सिंगल ही मैं बताता हूँ
क्योंकि सिंगल रहते रहते मैंने जिंगल बेल बजाई
कांता बाई मेरे कमरे में यही देखने आई
कैसे होती है पढाई
क्यों आई, क्यों आई
बिना बोले
सही है बेटा
कांता बाई मेरे कमरे में बिकनी पहन के आई
ज़रा भी ना शरमाई
आज की रात को पक्का टूटेगी चारपाई भाई
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