Genre | Ghazal |
Language | Hindi |
मैंने देखे हैं कई
रंग बदलने वाले
दोस्त बन-बन के मिले
मुझको मिटाने वाले
तुमने चुप रह के
सितम और भी ढाया मुझ पर
तुमने चुप रह के
सितम और भी ढाया मुझ पर
तुमसे अच्छे हैं
मेरे हाल पे हंसने वाले
मैने देखे हैं कई
रंग बदलने वाले
मैं तो इख्लाक़ के हाथों ही
बिका करता हूँ
मैं तो इख्लाक़ के हाथों ही
बिका करता हूँ
और होंगे तेरे बाज़ार में
बिकने वाले
मैने देखे हैं कई
रंग बदलने वाले
आखरी बार सलाम-ए-दिले
मुशतर ले लो
फिर ना लौटेंगे
शब-ए-हिजर पे रोने वाले
दोस्त बन-बन के मिले
मुझको मिटाने वाले
मैंने देखे हैं कई
रंग बदलने वाले