Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
कुछ दिव्या सी चीज़ है समझता था प्यार को
फिर जाना बॉडी बस छोड़ती हार्मोंस
You are not in love
तुम छोटे बीमार हो
कुछ काम नहीं आता है डिस्प्रिंन या सारिडोंन
उससे प्यार करता हूँ या उसके साथ हो
ईगो है मेरा वो कैसे भी प्राप्त हो
सुलझा रहा हूँ मैं उलझी इस गाँठ को
दिल और दिमाग़ के आपस के वार को
ये कैसे केमिकल छोड़े दिमाग़ भी
इतनी लाचारी है ऐसा ना था कभी
जिससे मैं लड़ता हूँ उसका मैं भाग भी
कमजोर पड़ रहा हन अंदर ओर ताक़त नहीं
बस प्यार करने की मैंने हिमाक़त की
ऐसा क्यूँ हो गया मेरी थी क्या ग़लती
ना करना ग़लती से ऐसा मज़ाक़ भी
केमिकलों ने किया ज़ख़्मी
है बस ये सारा केमिकल्स
मैं था बस कबसे बेख़बर
तू सर वार मैं घर वार में
हर पल बस बाड़ बाड़ में
डर डर काँपूँ थर्र थर्र
दिल ठंड ठंड जियूँ मर मर के
करवट लूँ हर क्षण में
पर्वत था अब कण में
सर गरम है मन सर्द है
अंदर भर भर दर्द है
खंडर जैसे मंजर
जैसे ख़ंजर करे पंचर
हूँ मैं बंजर करूँ संघर्ष
सुने हमदर्द यूँ ना तंग कर
ढीले अंजर सारे पंजर
तेरी संगत मेरी संपद
पर सम्पर्क में नहीं हम बट
जस्ट वन वर्ड केन कम्फ़र्ट
सो आने दे या मुझे जाने दे तू
मुझे जीने के झूठे बहाने दे
उंन सारी यादों की अर्थी को काँधे दे तू
मुझे थाम ले भाले तान दे
वो सब अंजनी सी यादें लौटाने दे
खो गया था मैं कबसे खड़को पाने दे
गाने दे गाने दे गाने दे बस मुझे गाने दे
गाने दे गाने दे गाने दे
बीमारियों के दाग ये जाते नहीं
सौ दर्द है फिर भी सौ राहतें नहीं
है बस ये सारा केमिकल्स
मैं था बस कबसे बेख़बर
सारी-सारी रात डराए हो जैसे है डायन
सांसें ना लेने दे ऐसे रसायन
हूँ बाहर से घायल और अंदर से क़ायल
लगती मोहब्बत पर है सब ये साइयन्स