Genre | Bhuvan Bam |
Language | Hindi |
हाँ आ..
भीड़ में साथ में चलते थे
और अभी खो गए
इतने थे पास हम
और अब अजनबी हो गए
है पता मुझे की तेरी कमी
छोड़ जाएगी कुछ ऐसी नमी
तू जाने बिना मेरे दिल का हाल
टुकड़े टुकड़े कर चल पड़ी
अलग सा है ये इंतज़ार
इक आस है मन में दबी हुई
ये सोच में मैं डूबा रहूँ
क्या बनते हैं, टूटते हैं रिश्ते सभी
याद आये तो मिली ही जाऊँगा तुझको युही
ना भी आये तो समझ जाउँगा
थी मुझमें ही कुछ कमी
बात जो कहनी थी तुमसे वो कहे बिना
सो गए, सो गए
इतने थे पास हम
और अब अजनबी हो गए
दिल से होके आखों से बरसे
वो ये शामें हैं, शाम है
खाली थे जो हाथों ने
पकड़े वो जाम हैं
चुभते सन्नाटे ही तो
कई बातें बताते हैं
हमदर्दी वाले ही अकसर
दर्द दे जाते हैं
याद आये तो मिली ही जाऊँगा तुझको युही
ना भी आये तो समझ जाउँगा
थी मुझमें ही कुछ कमी